विधुत का इतिहास क्या हैं?


1. विधुत का इतिहास 




आज से लगभग 2500 वर्ष पहले थेल्स नामक वैज्ञानिक ने ही विधुत को जन्म दिया जो यूनान के थे
उन्होंने ये पता लगाया कि अम्बर( इलेक्ट्रान ) को रेशम से रगडा जाये तो उसमे आकर्षण पैदा हो जाता हैं जिससे कागज के छोटे -छोटे टुकडे आकर्षित हो जाते हैं |
इसी नाम के आधार पर आकर्षित करने वाले गुण को इलैक्ट्रिसिटी  रखा गया |
इनके पश्चात एलिजाबेथ के गिलबर्ट नामक वैज्ञानिक ने पूर्व प्रयोगों के आधार पर अनेको प्रयोग किये |
इनके अनुभवों के आधार पर अनेको वैज्ञानिको ने लाभ उठाया |स्टीफन ग्रे वैज्ञानिक ने अपने प्रयोगों द्वारा बताया कि दो वस्तुओ कि रगड से विधुत उत्पन होने लगती हैं परन्तु वह स्थिर विधुत (Static Electricity ) होती  हैं |
     स्थिर विधुत के ज्ञान से अधिक लाभ नहीं हुआ परन्तु गेलवनी नामक वैज्ञानिक  ने रासायनिक विधि से विधुत प्राप्त करने के अनेको प्रयोग किये | जिनका लाभ इटली के वोल्टा नामक वैज्ञानिक ने उठाया |उन्होंने ने कांच के वर्तन में हल्का गंधक का तेजाब भरा और ताँबे व जस्ते कि दो छडे इसमे डाल दी |उसके  बाद उन्होंने देखा कि दोनों छड़ो के मध्य छोटा बल्ब प्रकाश लेने लगा | बाद में इसी सैल कहा जाने लगा | एस सैल के आधार पर अनेको सैल बने जिनमे उनकी कमियां दूर हो गई | यह विधुत तार एक स्थान से दुसरे स्थान पर ले जाई जा सकता हैं |
सैल द्वारा अस्थिर विधुत भी अधिक लाभकारी न हुई |तब वैज्ञानिको के चुम्बक के द्वारा विधुत उत्पन्न  करने का प्रयत्न किया | फैराडे वैज्ञानिक ने चुम्बक द्वारा अस्थिर विधुत उत्पन्न कि जिसे अधिक से अधिक मात्र में उत्पन्न किया जा सकता हैं |
उनके सिध्दांत के अनुसार 'चुम्बक के मध्य घुमने वाले कंडक्टर में विधुत उत्पन्न होने लगती हैं ' जिस पर विधुत आधारित हैं |

2. विधुत (Electric ):-यह एक प्रकार का बल हैं जो दिखाई नहीं पड़ता हैं और न ही इसे  स्पर्श कर सकते हैं  इसकी उपस्थिति अनुभवों एवं घटनाओ अथवा प्रयोगों द्वारा ही किया जा सकता हैं |
    दुसरे शब्दों में इस प्रकार कहा जा सकता हैं ,विधुत वह माध्यम हैं जिसके द्वारा विधुत शक्ति एक स्थान से दुसरे स्थान पर ले जाई जाती हैं | इसे  देख नहीं सकते बल्कि केवल इसके प्रभावों द्वारा अनुभव कर सकते हैं
    विधुत का प्रयोग ---- प्रकाश के लिए ,बड़ी-बड़ी मशीने चलने के लिए ,रेडियो ,...इत्याति |


3.विधुत का उत्पादन (Generation of Electricity);- विधुत उत्पन करने वाले जनरेटर को चलाने के लिए प्राईम मूवर प्रयोग किया जाता हैं | प्राकृतिक स्थिति में प्राईम मूवर दो प्रकार से प्रयोग किये जाते हैं :

     1.वायु द्वारा  (By Air )
     2.पानी द्वारा (By Water )

विदेशो और भारत में जहाँ वायु कि गति समान व तेज़ होती हैं वहां उपर की ओर वायु में पंख (Blade) लगा दी जाती हैं | पंखो के चलने  से बड़ी-बड़ी मशीने चलने लगती हैं | पवन चक्किया इसी प्रकार चलाई जाती हैं | विधुत जनरेटर या मशीनों  के घुमने वाले  भागो को इससे जोड़कर चलाया जाता हैं |

पहाड़ो से निकली नदियों के वेग अधिक होते हैं ,वह झरनों के रूप में बहती रहती हैं | पानी के वेग से जनरेटर के घुमने वाले भाग घुमाकर विधुत उत्पन्न कि जाती हैं |

      इसके अतिरिक्त मानव निर्मित साधन भी बनाये गये हैं जिन्हें आवश्यक स्थान पर लगाये जा सकते हैं | यह कृत्रिम साधन तीन प्रकार के होते हैं ---

     1.वाष्प द्वारा (By  Stream )
     2.जल द्वारा  (By Water )
     3.तेल द्वारा  (By Oil )


पानी कि वाष्प से ,पानी को काफी उचाई से गिराकर अथवा डीजल इंजन से जनरेटर के घुमने वाले भाग को घुमाया जाता हैं जिससे विधुत उत्पन्न होने लगती हैं |





         



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